तनहाई, तनहाई
दिल के रास्ते में कैसी ठोकर मैने खाई
टूटे ख्वाब सारे एक मायूसी हैं छाई
हर खुशी सो गई, जिंदगी खो गई
तुम को जो प्यार किया, मैने तो सजा में पाई
तनहाई, तनहाई, मिलों हैं फैली हुई तनहाई
ख्वाब में देखा था एक आंचल मैने अपने हाथों में
अब टूटें सपनों के शीशे चुभते हैं इन आखों में
कल कोई था यही, अब कोई भी नहीं
बन के नागिन जैसे हैं सांसों में लहराई
तनहाई, तनहाई, पलकों पे कितने आंसू हैं लाई
क्यों ऐसी उम्मीद की मैने जो ऐसे नाकाम हुई
दूर बनाई थी मंजिल तो रस्ते में ही शाम हुई
अब कहा जाऊँ मैं, किसको समझाऊँ मैं
क्या मैने चाहा था और क्यों किस्मत में आई
तनहाई, तनहाई, जैसे अंधेरों की हो गहराई
Sunday, November 19, 2006
तनहाई...
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